Tuesday, July 28, 2015

वह उड़ चला ....

कर्मवीर वो, धर्मशीला वो, प्रेमवान वो उड़ चला।
ज्ञानी, ध्यानी, मानव उत्तम, ले वेग विशाल वह उड़ चला।
रोको कोई, अरे....... रोको कोई।
धरम रहीम, राम चरित्र, सिक्ख कर्म, ईसा रूप, वो कर्म प्रधान अब उड़ चला। 
मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरु को बोना कर, वो देश भक्त अब उड़ चला।
रोको कोई, अरे....... रोको कोई।

वंशहीन वो, कर राष्ट्र अनाथ........ सब कंठ रुधन, सब नेत्र नीर...... वो सागर विशाल अब उड़ चला।
रोको कोई, अरे....... रोको कोई।
राजऋषि वह, कर गुरुकुल उदास  मातृभूमि को रिड़ी कर…तेज वेग अब उड़ चला। 

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