Friday, July 31, 2015

वर्चस्व

ये कैसी वर्चस्व की लड़ाई है, जिसने सारी मानवता हराई है।
गिद्ध बैठे ताक लगाये और सियारो ने दावत सजाई है।

मेरी दो नन्ही परी, एक मेरी और एक दोस्त ने जनि।
एक मेरी भजन गायेगी, एक कुरान का रस फैलाएगी।

लड़ो, काटो, चाहे डूब मरो... जल्दी करो,
क्युकी अब मेरी बेटियो की खुशियो पर बन आई है।

ये कैसी वर्चस्व की लड़ाई है, जिसने सारी मानवता हराई है। 

Tuesday, July 28, 2015

वह उड़ चला ....

कर्मवीर वो, धर्मशीला वो, प्रेमवान वो उड़ चला।
ज्ञानी, ध्यानी, मानव उत्तम, ले वेग विशाल वह उड़ चला।
रोको कोई, अरे....... रोको कोई।
धरम रहीम, राम चरित्र, सिक्ख कर्म, ईसा रूप, वो कर्म प्रधान अब उड़ चला। 
मंदिर, मस्जिद, गिरजा, गुरु को बोना कर, वो देश भक्त अब उड़ चला।
रोको कोई, अरे....... रोको कोई।

वंशहीन वो, कर राष्ट्र अनाथ........ सब कंठ रुधन, सब नेत्र नीर...... वो सागर विशाल अब उड़ चला।
रोको कोई, अरे....... रोको कोई।
राजऋषि वह, कर गुरुकुल उदास  मातृभूमि को रिड़ी कर…तेज वेग अब उड़ चला।